बेस्ट वेस्टर्न रिज़ॉर्ट कंट्री क्लब, मानेसर (हरियाणा) में 11 जून 2019 को 'सोशल मीडिया एक्टिविज्म' पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप का लक्ष्य सोशल मीडिया एक्टिविज्म को दलित अधिकारो के लिए कैसे प्रयोग किया जाए इस विषय में था। वर्कशॉप में एन.सी.डी.एच.आर. संस्थान के सहकर्मी उपस्थित थे वर्कशॉप का उद्देश्य प्रतिभागियो को सोशल मीडिया पर कोई कैंपेन कैसे चलाया जाए इस उद्देश्य से किया गया।
वर्कशॉप की शुरुआत में रईयान यूनुस ने सोशल मीडिया मैटर्स के काम को बताते हुए वहाँ उपस्तिथ प्रतिभागियो से बातचीत की और इस के बाद अमिताभ कुमार ने पहले सोशल मीडिया के बारे में बताया और सोशल मीडिया आँकड़ो की वीडियो को दिखाया जिसके बाद प्रतिभागियो से सवाल पूछे जैसे उन्हे इस वीडियो में क्या क्या देखा?
प्रतिभागियो ने बहुत रोचक अंदाज़ में कुछ आँकड़ो को बताया जिसके बाद अमिताभ कुमार ने वीडियो का अर्थ बताते हुए प्रतिभागियो को समझाया के इंसान की ध्यान अवधि बहुत कम होती है और उदाहरण देते हुए बताया के किशोर अवस्था से लेकर वयस्कता तक इंसान की ध्यान अवधि ऐसी ही रहती है, इसके साथ साथ ऑनलाइन विवाह प्रतिशत, LinkedIn उपयोगकर्ता, टूथब्रश से ज़्यादा मोबाइल फोन, हैशटेग ग्रांडपेरेंट्स जैसे सोशल मीडिया टॉपिक्स पर बात की।
एक वीडियो के माध्यम से टीम ने बताया की कैंपेन में सबसे पहले कैंपेन का नाम, उसके बाद कैंपेन का स्लोगन, कैंपेन का मकसद, हैशटैग और कैंपेन की समय सीमा कितनी होनी चाहिए।
इसके बाद अमिताभ कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LinkedIn के बारे में बताया, LinkedIn एक व्यापार संबंधी सोशल मीडिया वेबसाइट और एप्लीकेशन है जो ना सिर्फ़ व्यापार में काम आती है परंतु सोशल वर्क की फील्ड में भी बहुत महत्व रखती है इस प्लॅटफॉर्म के माध्यम से एक संगठन या एक मुद्दे पर काम कर रहे लोग एक दूसरे से जुड़ सकते हैं। इसके मद्देनज़र अमिताभ कुमार ने प्रतिभागियो को यही नसीहत दी के वो LinkedIn का प्रयोग अधिक करें और इसके मध्यम से लोगो से जुड़ें। उसके बाद इंस्टाग्राम के बारे में चर्चा हुई जिसमे बताया कि यह एक बहुत लोकप्रिय सोशल मीडिया एप्लीकेशन है जिसमे उपभोक्ता फोटो और वीडियो शेयर कर सकता है, इंस्टाग्राम वैसे तो सोशल मीडीया एप्लीकेशन मोबाइल और कंप्यूटर दोनो पर ही उपलब्ध है लेकिन इस पर फोटो और वीडियो सिर्फ मोबाइल के माध्यम से ही अपलोड हो सकती है परंतु सिर्फ ब्राउज़िंग के लिए उपभोगता कंप्यूटर का प्रयोग भी कर सकता है।
इसके बाद फ़ेसबुक पर चर्चा हुई जहाँ हमने प्रतिभागियो से पूछा की क्या वो फेसबुक प्लेटफॉर्म पर हैं, अधिकतर प्रतिभागियो ने हाँ में उत्तर दिया। अमिताभ कुमार ने एक्टिविज्म और कैंपेन को फेसबुक के माध्यम से समझाया और बताया की फेसबुक पर कोई कैंपेन चलाना दूसरे डिजिटल मीडीया माध्यमो से कही अधिक आसान है। इसी के साथ साथ यह भी बताया के फेसबुक पेज बनाने से बेहतर है के प्रतिभागी फेसबुक ग्रूप से लोगो को जोड़ें क्योंकि फेसबुक ग्रूप पर ग्रूप के सदस्यो के पास लगभग 50% पोस्ट पहुँच पाती है और यह कैंपेन की सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जानकारी देने के बाद टेनाग्राम एक्टिविटी कराई गई इस एक्टिविटी के मध्यम से सोशल मीडिया मैटर्स की टीम ने प्रतिभागियो को यह समझना चाहा के सोशल मीडिया और जनरल मीडिया अलग अलग माध्यम हैं और सोशल मीडिया पर सबका नजरिया हर चीज को लेकर अलग है टेनाग्राम से प्रतिभागियो को यह भी समझाने में मदद मिली की सोशल मीडिया पर बातचीत दो तरफा डाइलॉग है।
वर्कशॉप के अंत में सोशल मीडिया मैटर्स की टीम ने आशा व्यक्त की कि सभी प्रतिभागियो को वर्कशॉप से कुछ सिखने को मिला होगा तथा सोशल मीडिया अभियान को ठीक ढंग से कर पाएँगे। अंत में एन.सी.डी.एच.आर. की डायरेक्टर बीना पालीकल ने सोशल मीडिया मैटर्स की टीम के प्रति आभार व्यक्त किया।
दलित एक्टिवस्ट के साथ सोशल मीडिया वर्कशॉप
Rayyan Yunus
Online Safety